कर नैनो दीदार ...


कबीर साहिब ने अपनी रचना कर नैनों दीदार महल में प्यारा हैमें
सब कमलों का वर्णन विस्तार पूर्वक इस प्रकार किया है-


कर नैनो दीदार महल में प्यारा है ॥टेक॥
काम क्रोध मद लोभ बिसारो, सील संतोष छिमा सत धारो ।
मद्य मांस मिथ्या तजि डारो, हो ज्ञान घोड़े असवार, भरम से न्यारा है ॥1
धोती नेती वस्ती पाओ, आसन पद्म जुगत से लाओ ।
कुंभक कर रेचक करवाओ, पहिले मूल सुधार कारज हो सारा है ॥2
मूल कँवल दल चतुर बखानो, कलिंग जाप लाल रंग मानो ।
देव गनेस तह रोपा थानो, रिध सिध चँवर ढुलारा है ॥3
स्वाद चक्र षट्दल बिस्तारो, ब्रह्मा सावित्री रूप निहारो ।
उलटि नागिनी का सिर मारो, तहां शब्द ओंकारा है ॥4
नाभी अष्टकँवल दल साजा, सेत सिंहासन बिस्नु बिराजा ।
हिरिंग जाप तासु मुख गाजा, लछमी सिव आधारा है ॥5
द्वादस कँवल हृदय के माहीं, जंग गौर सिव ध्यान लगाई ।
सोहं शब्द तहां धुन छाई, गन करै जैजैकारा है ॥6
षोड़श दल कँवल कंठ के माहीं, तेहि मध बसे अविद्या बाई ।
हरि हर ब्रह्मा चँवर ढुराई, जहं शारिंग नाम उचारा है ॥7
ता पर कंज कँवल है भाई, बग भौरा दुह रूप लखाई ।
निज मन करत तहां ठुकराई, सौ नैनन पिछवारा है ॥8
कंवलन भेद किया निर्वारा, यह सब रचना पिण्ड मंझारा ।
सतसंग कर सतगुरु सिर धारा, वह सतनाम उचारा है ॥9
आंख कान मुख बंद कराओ अनहद झिंगा सब्द सुनाओ ।
दोनों तिल इकतार मिलाओ, तब देखो गुलजारा है ॥10
चंद सूर एकै घर लाओ, सुषमन सेती ध्यान लगाओ ।
तिरबेनी के संघ समाओ, भोर उतर चल पारा है ॥11
घंटा संख सुनो धुन दोई सहस कँवल दल जगमग होई ।
ता मध करता निरखो सोई, बंकनाल धस पारा है ॥12
डाकिन साकिनी बहु किलकारें, जम किंकर धर्म दूत हकारें ।
सत्तनाम सुन भागें सारे, जब सतगुरु नाम उचारा है ॥13
गगन मंडल विच उर्धमुख कुइआ, गुरुमुख साधू भर भर पीया ।
निगुरे प्यास मरे बिन कीया, जा के हिये अंधियारा है ॥14
त्रिकुटी महल में विद्या सारा, घनहर गरजें बजे नगारा ।
लाला बरन सूरज उजियारा, चतुर कंवल मंझार सब्द ओंकारा है ॥15
साध सोई जिन यह गढ़ लीना, नौ दरवाजे परगट चीन्हा ।
दसवां खोल जाय जिन दीन्हा, जहां कुंफुल रहा मारा है ॥16
आगे सेत सुन्न है भाई, मानसरोवर पैठि अन्हाई ।
हंसन मिल हंसा होइ जाई, मिलै जो अमी अहारा है ॥17
किंगरी सारंग बजै सितारा, अच्छर ब्रह्म सुन्न दरबारा ।
द्वादस भानु हंस उजियारा, खट दल कंवल मंझार सब्द रारंकारा है ॥18
महासुन्न सिंध बिषमी घाटी, बिन सतगुर पावै नाही बाटी ।
ब्याघर सिंह सरप बहु काटी, तहं सहज अचिंत पसारा है ॥19
अष्ट दल कंवल पारब्रह्म भाई, दाहिने द्वादस अचिंत रहाई ।
बायें दस दल सहज समाई, यूं कंवलन निरवारा है ॥20
पांच ब्रह्म पांचों अंड बीनो, पांच ब्रह्म निःअक्षर चीन्हो ।
चार मुकाम गुप्त तहं कीन्हो, जा मध बंदीवान पुरुष दरबारा है ॥21
दो पर्बत के संध निहारो, भंवर गुफा ते संत पुकारो ।
हंसा करते केल अपारो, तहां गुरन दरबारा है ॥22
सहस अठासी दीप रचाये, हीरे पन्ने महल जड़ाये ।
मुरली बजत अखंड सदाये, तहं सोहं झुनकारा है ॥23
सोहं हद्द तजी जब भाई, सत्त लोक की हद पुनि आई ।
उठत सुगंध महा अधिकाई, जा को वार न पारा है ॥24
षोड़स भानु हंस को रूपा, बीना सत धुन बजै अनूपा ।
हंसा करत चंवर सिर भूपा, सत्त पुरुष दरबारा है ॥25
कोटिन भानु उदय जो होई, एते ही पुनि चंद्र लखोई ।
पुरुष रोम सम एक न होई, ऐसा पुरुष दीदारा है ॥26
आगे अलख लोक है भाई, अलख पुरुष की तहं ठकुराई ।
अरबन सूर रोम सम नाहीं, ऐसा अलख निहारा है ॥27
ता पर अगम महल इक साजा, अगम पुरुष ताहि को राजा ।
खरबन सूर रोम इक लाजा, ऐसा अगम अपारा है ॥28
ता पर अकह लोक हैं भाई, पुरुष अनामी तहां रहाई ।
जो पहुँचा जानेगा वाही, कहन सुनन से न्यारा है ॥29
काया भेद किया निर्बारा, यह सब रचना पिंड मंझारा ।
माया अवगति जाल पसारा, सो कारीगर भारा है ॥30
आदि माया कीन्ही चतुराई, झूठी बाजी पिंड दिखाई ।
अवगति रचन रची अंड माहीं, ता का प्रतिबिंब डारा है ॥31
सब्द बिहंगम चाल हमारी, कहैं कबीर सतगुर दइ तारी ।
खुले कपाट सब्द झुनकारी, पिंड अंड के पार सो देस हमारा है ॥32

21 comments:

  1. Jai ho bandi chhod satguru Rampal ji maharaj

    ReplyDelete
  2. Ye rampal eska galat arth nikal bebkuf bana raha hai.

    ReplyDelete
    Replies
    1. Sahi kya hai aapke anusar

      Delete
    2. Sahi aap ne..... Rampal sbko fool bna rha,Kabir Sahib ji k Shabd ka anarth krta aarha hai jo man m aarha wo bol diya uske aandhe bhakt use follow krk galat kr rhe.... Kabir ji ka maarg satya dikhana hai.

      Delete
  3. Bhura jo dekhan me chla bhura na milya koi ,jo mann khoja aapna mujhsa bhura naa koi 🙏
    Sant kbhi kisi dusre ki nindha nhi krte jo ninda krte hai asaliyat mein woh sant hi nahi ....🙏☺🤗

    ReplyDelete
    Replies
    1. Jabhi radha swami ke guruo ki ninda ki

      Delete
    2. Vo rampal radha swami dera beas ke mojuda satguru ki bahut ninda karta hai..

      Delete
    3. सत्य को निंदा मत समझे मान्यवर क्योंकि संत रामपाल जी महाराज इंटरनेशन चैनल में करोड़ों जनता के सामने सभी सत ग्रंथो से मिलान करके ज्ञान बता रहे है आपको तो उनका उपकार मानना चाहिए क्योंकि उन्होंने आपको परमात्मा पाने का सही मार्ग बताया है वरना आप भी भूत मसान बनकर घुमते

      Delete
  4. Savior of world Saint Rampal ji Maharaj.
    The great CHYREN selin of Nostradamus has come on earth as Saint Rampal Ji Maharaj.

    ReplyDelete

  5. Saint Rampal ji Maharaj is only complete spiritual leader in all the world.
    Without true worship there can be no peace.
    Take intimation from true SatGuru Rampal ji Maharaj to attain supreme God.

    ReplyDelete
  6. 🏡ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 के अनुसार पूर्ण परमात्मा कविर्देव का निजधाम तीसरा मुक्ति धाम "सतलोक" में है। जहाँ  जाने के बाद मनुष्य का जन्म मरण नहीं होता है।
    जबकि पृथ्वी लोक / काल लोक  पर जन्म - मरण का चक्र चलता ही रहता है।

    ReplyDelete
  7. Sat Saheb Bagti daan dena malik.

    ReplyDelete
  8. बन्‍दीछोड़ सतगुरूदेव संत रामपाल जी भगवान जी की जय हो🙇‍♀️🙇‍♀️

    ReplyDelete