पाप पुण्य


कबीरतीन लोक पिंजरा भयापाप पुण्य दो जाल।
सभी जीव भोजन भयेएक खाने वाला काल।।

गरीबएक पापी एक पुन्यी आयाएक है सूम दलेल रे।
बिना भजन कोई काम नहीं आवैसब है जम की जेल रे।।

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