गरीब दास जी वाणी
बिन ही मुख सारंग राग सुन, बिन ही तंती
तार।
बिना सुर अलगोजे बजैं, नगर नांच घुमार।।
घण्टा बाजै ताल नग, मंजीरे डफ झांझ।
घण्टा बाजै ताल नग, मंजीरे डफ झांझ।
मूरली मधूर सुहावनी, निसबासर और
सांझ।।
बीन बिहंगम बाजहिं, तरक तम्बूरे तीर।
बीन बिहंगम बाजहिं, तरक तम्बूरे तीर।
राग खण्ड नहीं होत है, बंध्या रहत
समीर।।
तरक नहीं तोरा नहीं, नांही कशीस कबाब।
तरक नहीं तोरा नहीं, नांही कशीस कबाब।
अमृत प्याले मध पीवैं, ज्यों भाटी
चवैं शराब।।
मतवाले मस्तानपुर, गली-2 गुलजार।
मतवाले मस्तानपुर, गली-2 गुलजार।
संख शराबी फिरत हैं, चलो तास बजार।।
संख-संख पत्नी नाचैं, गावैं शब्द सुभान।
संख-संख पत्नी नाचैं, गावैं शब्द सुभान।
चंद्र बदन सूरजमुखी, नांही मान
गुमान।।
संख हिंडोले नूर नग, झूलैं संत हजूर।
संख हिंडोले नूर नग, झूलैं संत हजूर।
तख्त धनी के पास कर, ऐसा मुलक
जहूर।।
नदी नाव नाले बगैं, छूटैं फुहारे सुन्न।
नदी नाव नाले बगैं, छूटैं फुहारे सुन्न।
भरे होद सरवर सदा, नहीं पाप
नहीं पुण्य।।
ना कोई भिक्षुक दान दे, ना कोई हार व्यवहार।
ना कोई भिक्षुक दान दे, ना कोई हार व्यवहार।
ना कोई जन्मे मरे, ऐसा देश
हमार।।
जहां संखों लहर मेहर की उपजैं, कहर जहां नहीं कोई।
जहां संखों लहर मेहर की उपजैं, कहर जहां नहीं कोई।
दासगरीब अचल अविनाशी, सुख का
सागर सोई।।
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