।। पूर्ण परमात्मने नमः ।।
कबीर
साहेब जी अपने परम शिष्य धर्मदास जी को कह रहे हैं कि ध्यान पूर्वक सुन वह पूर्ण
ब्रह्म (परम अक्षर पुरुष) परमात्मा मैंने (कबीर साहेब ने) पाया उस परमात्मा
(पूर्णब्रह्म) का सर्व ब्रह्मण्डों से पार स्थान है वहां पर वह आदि परमात्मा
(सतपुरुष) रहता है। वही सर्व जीवों का दाता है:
ताहि न यह जग जाने भाई। तीन देव में ध्यान लगाई।।
तीन देव की करहीं भक्ति। जिनकी कभी न होवे मुक्ति।।
तीन देव का अजब खयाला। देवी-देव प्रपंची काला।।
इनमें मत भटको अज्ञानी। काल झपट पकड़ेगा प्राणी।।
तीन देव पुरुष गम्य न पाई। जग के जीव सब फिरे भुलाई।।
जो कोई सतनाम गहे भाई। जा कहैं देख डरे जमराई।।
ऐसा सबसे कहीयो भाई। जग जीवों का भरम नशाई।।
कह कबीर हम सत कर भाखा, हम हैं मूल शेष डार, तना रू शाखा।।
साखी: रूप
देख भरमो नहीं, कहैं कबीर विचार।
अलख पुरुष हृदये लखे, सोई उतरि है पार।।
उस
परमात्मा को कोई नहीं जानता तथा उसकी प्राप्ति की विधि भी
किसी शास्त्र में वर्णित नहीं है। इसलिए सतनाम व सारनाम के स्मरण के बिना काल
साधना(केवल ऊँ मन्त्रा जाप) करके काल का ही आहार बन जाते हैं। सच्चा साहेब(अविनाशी
परमात्मा) भजो। उसकी साधना सतनाम व सारनाम से होती है। इसका ज्ञान न होने से ऋषि व
संतजन लगन भी खूब लगाते हैं। हजारों वर्ष वेदों में वर्णित साधना भी करते हैं
परंतु व्यर्थ रहती है। पूर्ण मुक्त नहीं हो पाते।
धर्मदास
जी को साहेब कबीर कह रहे हैं कि जो सज्जन व्यक्ति आत्म कल्याण चाहने वाले अपनी गलत
साधना त्याग कर तत्वदृष्टा सन्त के पास नाम लेने आएंगे। उनको सतनाम व सारनाम
मन्त्रा दिया जाता है। जिससे वे काल जाल से निकल कर सतलोक में चले जाएंगे। फिर
जन्म-मरण रहित हो कर पूर्ण परमात्मा का आनन्द प्राप्त करेंगे। सही रास्ता (पूजा
विधि) न मिलने के कारण नादान आत्मा पत्थर पूजने लग गई, व्रत, तीर्थ, मन्दिर, मस्जिद आदि में ईश्वर को तलाश रही हैं जो व्यर्थ है यह सब स्वार्थी
अज्ञानियों व नकली गुरुओं द्वारा चलाई गई है।
जो गुरु
सतनाम व सारनाम नहीं देता वह सतपुरुष की प्राप्ति नही करा सकता और अपने शिष्यों का
दुश्मन है। गलत साधना कर व करवा के स्वयं को भी तथा अनुयाईयों को भी नरक में ले जा
रहा है। जो आप ही भूला है तथा नादान भोली-भाली आत्माओं को भी भुला रहा है।
वेदों व
गीता जी में ऊँ नाम की महिमा बताई है कि यह भी मूल नाम नहीं है। सारनाम के बिना
अधूरे नाम को अंश नाम कहा है जो पूर्ण मुक्ति का नहीं है। इसी के बारे में कहा है
कि शाखा (ब्रह्मा-विष्णु-शिव व ब्रह्म-काल तथा माता की
साधना को शाखा कहा है) व पत्रा (देवी-देवताओं की पूजा का ईशारा किया है) में जगत
उलझा हुआ है। जो इनकी साधना करता है वह नरक में जाता है। फिर पूर्ण परमात्मा को
मूल कहा है कि उस परमात्मा तथा उसकी उपासना को कोई नहीं जानता। अज्ञानता वश
ब्रह्मा-विष्णु-शिव और श्री राम व श्री कृष्ण जी को ही अविनाशी परमात्मा मानते हैं।
‘‘जीव अभागे मूल नहीं जाने, डार-शाखा को पुरुष बखाने‘‘
संसार
के साधक वेद शास्त्रों को पढ़ते भी हैं परंतु समझ नहीं पाते। व्यर्थ में झगड़ा
करते हैं। जबकि पवित्र वेद व गीता व पुराण भी यही कहते हैं कि अविनाशी परमात्मा
कोई और ही है। प्रमाण के लिए गीता जी के श्लोक 15.16-15.17 में पूर्ण वर्णन किया गया है। जो इन तीन
देवों (ब्रह्मा, विष्णु, शिव)
की भक्ति करते हैं उनकी मुक्ति कभी नहीं हो सकती। हे नादान प्राणियों! इनकी उपासना
में मत भटको। पूर्ण परमात्मा की साधना करो। धर्मदास से साहेब कबीर कह रहे हैं कि
यह सब जीवों को बताओ, उनका भ्रम मिटाओ तथा सतपुरुष की
पूजा व महिमा का ज्ञान कराओ।
सतमार्ग दर्शन
चैपाई:
जो जो वस्तू दृष्टि में आई, सोई सबहि काल धर खाई।।
मूरति पूजैं मुक्त न होई, नाहक जन्म अकारथ खोई।।
।। कबीर पंथी
शब्दावली रमैनी ।। 21 ।।
कबीर साहेब कह रहे हैं कि हे वेदों व शास्त्रों के
ज्ञाता (पंडित) मुझे बताओ कि जब महाप्रलय परब्रह्म द्वारा की जाएगी उसमें
सुक्ष्म-स्थूल आदि शरीर समाप्त हो जाएंगे तथा यह काल (विराट रूप) भी नहीं रहेगा। इसलिए
आप पूर्ण परमात्मा का मार्ग प्राप्त करो। यह सही मार्ग सब भूल गए हैं जिसके कारण
पूर्ण शांति नहीं। (इसी का प्रमाण गीता जी में है):
मैं तोहि पूंछो पडित ज्ञानी। पृथ्वी आकाश रहे नहिं पानी।।
सूक्ष्म स्थूल रहे नहिं कोई। बिराट सहित परले सब होई।।
तबहिं बिराट काहि अधारा। तब वेद जाप जर होवे छारा।।
होय अलोप जब रवि औ चन्दा। तब कापर रहे बाल मुकुन्दा।।
यह अचरज मोहिं निसि दिन भाई। दुरमत मेट मोहिं देहु बताई।।
समै- अमिट वस्तू सब मेटे, जो मेटे सो प्रमान।
मिटतन कीन्ह सनेहरा, आपइ मिटे निदान।
पैंडा सब जग भूलिया, कहँ लग कहौं समुझाय।
कहें कवीर अब क्या कीजे,जगते कहा बसाय।।
।। कबीर सागर के ज्ञान बोध से कबीर साहेब का शब्द ।।
ऐसा राम कबीर ने जाना। धर्मदास सुनियो दै काना।।
सुन्न के परे पुरुष को धामा। तहँ साहब है आदि अनामा।।
ताहि धाम सब जीवका दाता। मैं सबसों कहता निज बाता।।
रहत अगोचर (अव्यक्त)सब के पारा। आदि अनादि पुरुष है न्यारा।।
आदि ब्रह्म इक पुरुष अकेला। ताके संग नहीं कोई चेला।।
ताहि न जाने यह संसारा। बिना नाम है जमके चारा।।
नाम बिना यह जग अरुझाना। नाम गहे सौ संतसुजाना।।
सच्चा साहेब भजु रे भाई। यहि जगसे तुम कहो चिताई।।
धोखा में जिव जन्म गँवाई। झूठी लगन लगाये भाई।।
ऐसा जग से कहु समझाई। धर्मदास जिव बोधो जाई।।
सज्जन जिव आवै तुम पासा। जिन्हें देवैं सतलोकहि बासा।
भ्रम गये वे भव जलमाहीं। आदि नाम को जानत नाहीं।।
पीतर पाथर पूजन लागे। आदि नाम घट ही से त्यागे।।
तीरथ बर्त करे संसारे। नेम धर्म असनान सकारे।।
भेष बनाय विभूति रमाये। घर घर भिक्षा मांगन आये।।
जग जीवन को दीक्षा देही। सत्तनाम बिन पुरुषहि द्रोही।।
ज्ञान हीन जो गुरु कहावै। आपन भूला जगत भूलावै।।
ऐसा ज्ञान चलाया भाई। सत साहबकी सुध बिसराई।।
यह दुनियां दो रंगी भाई। जिव गह शरण असुर (काल) की जाई।।
तीरथ व्रत तप पुन्य कमाई। यह जम जाल तहाँ ठहराई।।
यहै जगत ऐसा अरुझाई। नाम बिना बूड़ी दुनियाई।।
जो कोई भक्त हमारा होई। जात वरण को त्यागै सोई।।
तीरथ व्रत सब देय बहाई। सतगुरु चरणसे ध्यान लगाई।।
मनहीं बांध स्थिर जो करही। सो हंसा भवसागर तरही।।
भक्त होय सतगुरुका पूरा। रहै पुरुष के नित्त हजूरा।।
यही जो रीति साधकी भाई। सार युक्ति मैं कहूँ गुहराई।।
सतनाम निज मूल है, यह कबीर समझाय।
दोई दीन खोजत फिरें, परम पुरुष नहिं पाय।।
गहै नाम सेवा करै, सतनाम गुण गावै।
सतगुरु पद विश्वास दृढ़, सहज परम पद पावै।।
ऐसे जग जिव ज्ञान चलाई। धर्मदास तोहि कथा सुनाई।।
यही जगत की उलटी रीती, नाम न जाने कालसों
प्रीती।।
वेद रीति सुनयो धर्मदासा। मैं सब भाख कहों तुम पासा।।
वेद पुराण में नामहि भाषा। वेद लिखा जानो तुम साखा।।
चीन्हों है सो दूसर होई। भर्म विवाद करें सब कोई।।
मूल नाम न काहू पाये। साखा पत्रा गह जग लपटाये।।
डार शाख को जो हृदय धरहीं। निश्चय जाय नरकमें परहीं।।
भूले लोग कहे हम पावा। मूल वस्तू बिन जन्म गमावा।।
जीव अभागि मूल नहिं जाने। डार शाख को पुरुष बखाने।।
पढ़े पुराण और वेद बखाने। सतपुरुष जग भेद न जाने।।
वेद पढ़े और भेद न जाने। नाहक यह जग झगड़ा ठाने।।
वेद पुराण यह करे पुकारा। सबही से इक पुरुष नियारा।
तत्वदृष्टा को खोजो भाई, पूर्ण मोक्ष ताहि तैं पाई।
कविः नाम जो बेदन में गावा, कबीरन् कुरान कह समझावा।
वाही नाम है सबन का सारा, आदि नाम वाही कबीर हमारा।।
सामवेद उतार्चिक अध्याय 3 खण्ड
न. 5 श्लोक न. 8
मनीषिभिः पवते
पूव्र्यः कविर्नृभिर्यतः परि कोशां असिष्यदत्।
त्रितस्य नाम जनयन्मधु क्षरन्निन्द्रस्य वायुं सख्याय वर्धयन् ।।साम 3.5.8।।
त्रितस्य नाम जनयन्मधु क्षरन्निन्द्रस्य वायुं सख्याय वर्धयन् ।।साम 3.5.8।।
सन्धिछेदः-मनीषिभिः
पवते पूव्र्यः कविर् नृभिः यतः परि कोशान् असिष्यदत् त्रि तस्य नाम जनयन् मधु
क्षरनः न इन्द्रस्य वायुम् सख्याय वर्धयन्। ।।साम 3.5.8।।
शब्दार्थ (पूव्र्यः) सनातन अर्थात् अविनाशी
(कविर नृभिः) कबीर परमेश्वर मानव रूप धारण करके अर्थात् गुरु रूप में प्रकट होकर
(मनीषिभिः) हृदय से चाहने वाले श्रद्धा से भक्ति करने वाले भक्तात्मा को (त्रि)
तीन (नाम) मन्त्रा अर्थात् नाम उपदेश देकर (पवते) पवित्रा करके (जनयन्) जन्म व
(क्षरनः) मृत्यु से (न) रहित करता है तथा (तस्य) उसके (वायुम्) प्राण अर्थात्
जीवन-स्वांसों को जो संस्कारवश गिनती के डाले हुए होते हैं को (कोशान्) अपने
भण्डार से (सख्याय) मित्राता के आधार से(परि) पूर्ण रूप से (वर्धयन्) बढ़ाता है।
(यतः) जिस कारण से (इन्द्रस्य) परमेश्वर के (मधु) वास्तविक आनन्द को (असिष्यदत्)
अपने आशीर्वाद प्रसाद से प्राप्त करवाता है। (साम 3.5.8)
भावार्थ:- इस मन्त्र में स्पष्ट
किया है कि पूर्ण परमात्मा कविर अर्थात् कबीर मानव शरीर में गुरु रूप में प्रकट
होकर प्रभु प्रेमीयों को तीन नाम का जाप देकर सत्य भक्ति कराता है तथा उस मित्र
भक्त को पवित्र करके अपने आर्शिवाद से पूर्ण परमात्मा प्राप्ति करके पूर्ण सुख
प्राप्त कराता है। साधक की आयु बढाता है। (साम 3.5.8)
विशेष:- उपरोक्त विवरण से स्पष्ट हुआ कि
पवित्रा चारों वेद भी साक्षी हैं कि पूर्ण परमात्मा ही पूजा के योग्य है, उसका
वास्तविक नाम कविर्देव(कबीर परमेश्वर) है तथा तीन मंत्र के नाम का जाप करने से ही
पूर्ण मोक्ष होता है।
श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक 15.16:
द्वौ, इमौं, पुरुषौ, लोके, क्षरः, च अक्षरः, एव, च,
क्षरः, सर्वाणि, भूतानि, कूटस्थः, अक्षरः, उच्यते ।।गीता15.16।।
अनुवाद:
(लोके) इस संसारमें (द्वौ) दो प्रकारके (पुरुषौ) प्रभु हैं। (क्षरः) नाशवान् प्रभु
अर्थात् ब्रह्म(च) और (अक्षरः) अविनाशी प्रभु अर्थात् परब्रह्म (एव)
इसी प्रकार (इमौ) इन दोनों के लोक में (सर्वाणि) सम्पूर्ण (भूतानि) प्राणियोंके
शरीर तो (क्षरः) नाशवान् (च) और (कूटस्थः) जीवात्मा (अक्षरः) अविनाशी (उच्यते) कहा
जाता है। (15.16)
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 15 के श्लोक 17:
उत्तमः, पुरुषः
तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः
यः लोकत्रायम्, आविश्य, बिभर्ति, अव्ययः, ईश्वरः ।।गीता15.17।।
अनुवाद:
(उत्तम) उत्तम (पुरुषः) प्रभु (तु) तो उपरोक्त क्षर पुरूष अर्थात् ब्रह्म तथा
अक्षर पुरूष अर्थात् परब्रह्म से (अन्यः) अन्य ही है (परमात्मा) परमात्मा (इति) इस
प्रकार (उदाहृतः) कहा गया है (यः) जो (लोकत्रायम्) तीनों लोकोंमें (आविश्य) प्रवेश
करके (बिभर्ति) सबका धारण-पोषण करता है एवं (अव्ययः) अविनाशी (ईश्वरः) उपरोक्त
प्रभुओं से श्रेष्ठ प्रभु अर्थात् परमेश्वर है। (15.17)
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 15 के श्लोक 18:
यस्मात्, क्षरम्
अतीतः, अहम्, अक्षरात् अपि च
उत्तम।
अतः अस्मि लोके वेदे च प्रथितः पुरुषोत्तमः ।।गीता15.18।।
अनुवाद:
(यस्मात्) क्योंकि (अहम्) मैं काल - ब्रह्म(क्षरम्) नाशवान् स्थूल शरीर धारी
प्राणियों से (अतीतः) श्रेष्ठ (च) और (अक्षरात्) अविनाशी जीवात्मासे (अपि) भी
(उत्तमः) उत्तम हूँ (च) और (अतः) इसलिये (लोके, वेद) लोक वेद
में अर्थात् कहे सुने ज्ञान के आधार से (पुरुषोत्तमः) श्रेष्ठ भगवान अर्थात् कुल
मालिक नामसे (प्रथितः) प्रसिद्ध (अस्मि) हूँ। परन्तु वास्तव में कुल मालिक तो अन्य
ही है। (15.18)
सत साहेब राधा स्वामी जी ओम एक ओंकार वाहेगुरु सतनाम
ReplyDeleteसत साहेब
ReplyDeleteRight
ReplyDeleteKabir is supreme god....💥💥
सभी धरमों के शास्त्रों से प्रमाणित होता है पूर्ण परमात्मा कविरदेव हैं
ReplyDeleteKabir is God ......... Bhupendra ketley
ReplyDeleteकबीर ही पूर्ण परमात्मा चारों वेदों 18 पुराण बाइबल गुरु ग्रंथ साहिब कुरान शरीफ सभी में प्रमाण मिलता है और संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण ब्रह्म परमात्मा है इस धरती पर आए हुए हैं कृपया उनसे नाम दान लीजिए वही है जो कोरोना की बीमारी हो खत्म कर सकते हैं पूरे विश्व में कोई नहीं है लेखक......... भूपेंद्र केटले
ReplyDeleteKabir is real god kabir is supreme god
ReplyDeleteSaint rampalji real saint
सच्चा सतगुरु वो है जो हमारे सभी धर्मों के सदग्रन्थों से प्रमाणित ज्ञान व सतभक्ति देकर जन्म-मृत्यु से छुटकारा दिला दे।
ReplyDeleteसद्ग्रन्थों पर आधारित भक्ति केवल संत रामपाल जी महाराज ही बताते हैं।
सच्चा सतगुरु वो है जो हमारे सभी धर्मों के सदग्रन्थों से प्रमाणित ज्ञान व सतभक्ति देकर जन्म-मृत्यु से छुटकारा दिला दे।
ReplyDeleteसद्ग्रन्थों पर आधारित भक्ति केवल संत रामपाल जी महाराज ही बताते हैं।
Kabir is "complete God" in all respect.
ReplyDeleteयह सारा लेख पढ़ने से तो यही स्पष्ट है कि परमात्मा तो कबीर साहिब ही हैं
ReplyDeleteहमने तो गीता में और वेदों में जैसा इसमें लिखा है वैसे ही उसमें भी लिखा है इससे यही प्रमाणित होता है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही है
ReplyDeleteपूर्ण परमात्मा कबीर साहब जी है
ReplyDeleteKabir is supreme God
ReplyDeleteपवित्र कुरान भी प्रमाणित करती है कि कबीर अल्लाह ही सबका मालिक है। क़ुरान में लिखा है कबीर अल्लाह ही पूजा के योग्य हैं।
ReplyDeleteवह सर्व पापों को विनाश करने वाले हैं। उनकी पवित्र महिमा का गुणगान करो - सुरत-फुर्कानि 25:58
Kuran shreef arbi basha mey abtaran hui thi aur arbi me kabeer ka matlab bada hota hy kabeer allah yani sabse bada allah hi hy
DeleteAll these are powerful souls...
DeleteSuprime almighty authority is only one....
The almighty is working secretly on our earth we don't imagine wt is real.. The almighty is giving gyan of themself...
By this comment i want to share this unknown truth to u all..
All of u can also known about it..
I'M giving you the channel name here
(Bapuji dashrathbhai patel).
पवित्र बाईबिल- Iyov 36:5 भी प्रमाणित करती है कि परमेश्वर कबीर साहेब ही सबके मालिक हैं, (सामर्थी) हैं और विवेकपूर्ण हैं।
ReplyDeleteपरमेश्वर कबीर (शक्तिशाली) है, किन्तु वह लोगों से घृणा नहीं करता।
नानक देव जी की पवित्र वाणी भी प्रमाणित करती है
ReplyDeleteपूर्ण परमात्मा "सत कबीर" सर्व के मालिक हैं।
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।।
‘‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721
नानक देव जी कहते हैं:-
हे सर्व सृष्टि रचनहार, दयालु ‘‘सतकबीर‘‘ आप निर्विकार परमात्मा हैं।
कबीर अपने आपको भगवान बताता है जबकि सत्य ये है जो भगवान है उन्होंने कभी भी अपने आपको भगवान नही बताया उन्होंने साधारण मनुष्यो की भांति जीवन जीकर लोगों को सच्चा जीवन जीने का मार्ग प्रशश्त किया
Deleteभगवान व अवतार कभी झूठ नहीं बोलते। जितना
Deleteउन्हें ज्ञान होता है लोक कल्याण के लिए सब बता देते हैं। श्री रामचन्द्र जी के बारे में पूरा विवरण बाल्मिकी और तुलसीदास जी की रामायण में है और बाल्मिकी जी ने भी उन्हें राजा राम संबोंधन किया है, तुलसीदास जी के वे आराध्य देव हैं। वेदों में परमेश्वर की महिमा बताई गई है उससे कबीर साहब की वाणी प्रमाणित होती हैं व
अन्य संतों ने भी उनकी महिमा का गुणगान किया है।परमात्मा किसी एक की संपत्ति नहीं है भाई।
जानकारी लेते जाओं और प्रत्यक्ष प्रमाण देखकर गुणगान करते जाओं।
भगवान व अवतार कभी झूठ नहीं बोलते। जितना
Deleteउन्हें ज्ञान होता है लोक कल्याण के लिए सब बता देते हैं। श्री रामचन्द्र जी के बारे में पूरा विवरण बाल्मिकी और तुलसीदास जी की रामायण में है और बाल्मिकी जी ने भी उन्हें राजा राम संबोंधन किया है, तुलसीदास जी के वे आराध्य देव हैं। वेदों में परमेश्वर की महिमा बताई गई है उससे कबीर साहब की वाणी प्रमाणित होती हैं व
अन्य संतों ने भी उनकी महिमा का गुणगान किया है।परमात्मा किसी एक की संपत्ति नहीं है भाई।
जानकारी लेते जाओं और प्रत्यक्ष प्रमाण देखकर गुणगान करते जाओं।
ReplyDeleteApab Destroyer Kabir Prabhu
Kavirarngharisi = Kabir Parmeshwar (Angha) is the (peaceful) enemy (Asi) of sin, that is the destroyer Kabir. Kabir is God, except the enemy of bondage, ie prisoner.
- Yajurveda Chapter 5 Mantra 32
Kaha se aate h ye murkh log
ReplyDeleteTumko kya pata
DeleteTo tujhe jada pta h
Delete100%✓
ReplyDeleteKabir is complete God
Deleteसत साहेब जी 🙏🙏🙏🙏
DeleteRight kabir is complete God
ReplyDeleteKabir is complete God
ReplyDeleteKabir Ji is supreme God worth worship as depicted in our four vedas kuran bible guru granth sahib ji
ReplyDeleteTumhari maa Ka bhosda...! God is Shree Krishna ❤️🙏Read Madhbhagwat Geeta.
ReplyDeleteStupid Uneducated people.
Jai Shree Krishna
सत्य कहा भाई ये रामपाल माह गधा है
Deleteये कबीर कौन है BC... कवि को रामपाल कबीर कहता है, कबीर julaha था, जो किसी मुस्लिम दंपति की औलाद. किसी हिन्दू ने पाला... और इस गधे रामपाल उसे Bhagwan बना दिया
Deleteश्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 15 के श्लोक 17:
Deleteउत्तमः, पुरुषः तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः
यः लोकत्रायम्, आविश्य, बिभर्ति, अव्ययः, ईश्वरः ।।गीता15.17।।
अनुवाद: (उत्तम) उत्तम (पुरुषः) प्रभु (तु) तो उपरोक्त क्षर पुरूष अर्थात् ब्रह्म तथा अक्षर पुरूष अर्थात् परब्रह्म से (अन्यः) अन्य ही है (परमात्मा) परमात्मा (इति) इस प्रकार (उदाहृतः) कहा गया है (यः) जो (लोकत्रायम्) तीनों लोकोंमें (आविश्य) प्रवेश करके (बिभर्ति) सबका धारण-पोषण करता है एवं (अव्ययः) अविनाशी (ईश्वरः) उपरोक्त प्रभुओं से श्रेष्ठ प्रभु अर्थात् परमेश्वर है। (15.17)
कमाल की बात तो यह है कि परमात्मा क्या है यह बताने के लिए भी वेद और पुराणों का प्रयोग कर रहे हैं और उनको गलत भी बता रहे हैं कमाल है यार
ReplyDeleteमैं बताऊं पूर्ण परमात्मा क्या है?
पूर्ण परमात्मा आपके अंदर विद्यमान है कहीं बाहर उसको ढूंढने की जरूरत नहीं है यही लिखा है गीता में और यह भी लिखा है की आत्मा और परमात्मा एक ना दिखने वाली डोरी से बंधे हुए हैं। यह भी लिखा है वेदों पुराणों में अहम् ब्रह्मास्मि प्रत्येक जीव में ब्रह्म है वह पूर्ण परमात्मा स्वयं है बस आवश्यकता है तो खुद को ढूंढने की एक बार आप खुद को ढूंढ लीजिए परमात्मा को खोजने की आपकी साधना पूरी हो जाएगी मित्र।
Good
DeleteKabir hi bhagwan hai
DeleteRight
Deleteग़लत फहमी के शिकार हो भाई।
DeleteRight
Deleteकबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है।
Deleteपूर्ण परमेश्वर कबीर देव है वेदों में उनका नाम कविर देव, कुरान में अल्लाह कबीर, बाइबल में कविरिम, गुरु ग्रंथ साहिब में हक्का कबीर
ReplyDeleteसबसे बड़ा ठग फर्जी कबीर रामपाल इंजीनियर उर्फ अफण्डपाल है ?😂😂😂
ReplyDeleteRight
DeleteSant Rampal Ji Parmatma Kabir Saheb hai
ReplyDeletekabir jitna gyani tha magar utna hi murkh bhi tha
ReplyDeleteकबीर परमात्मा कहते थे
Deleteमूर्ख को समझाने से ज्ञान गाँठ का जाय कोयला न हो उजला चाहे शौ मन साबुन लगाय
कबीर पूर्ण परमात्मा है सभी सदग्रंथो मे प्रमाण है व जिन संतों ने परमात्मा को देखा तथा प्राप्त किया उनहोंने बताया कि परमात्मा कबीर साहब है
अधिक जानकारी के लिए साधना tvदेखें शाम 730से
agar kabir parmatma tha to iska praman nahi milta. yahi apna gungan karta hai. aur rampal maharaj to gadha hai
ReplyDelete#kabir_is_god सदग्रंथो मे प्रमाण
Deleteगुरूग्रंथ मे हक्का कबीर
कुरानशरीफ मेअल्लाह कबीर
वेदों मे कवीर्देव
कबीर साहब कहते है
हमही अलह अलेख है कुतुब गौस औ पीर गरीब दास खालिक धनी हमरा नाम कबीर
वेद हमरा भेद है मैना मिलूं वेदन के माही
जौन वेद से मै मिलूं ये वेद जानते नाहि
साधनाtvदेखे7:30से
कबीर साहेब परमात्मा बिल्कुल सही है
Deleteप्रमाण अंधों को नहीं दिखते हैं कृपया अपनी आंखें खोलें और प्रमाण देखें पढ़ें समझें ,सद्गुरु बताते हैं कि हमें अंधे गधे रोकने के लिए आते हैं इस ज्ञान में उन्हें मालूम नहीं यह तूफान है ज्ञान का सर्व धर्म में प्रमाणित सद ग्रंथों से प्रमाणित
Deleteरामपाल माह गधा है
Deleteकबीर परमेश्वर हैं,ऐसा न तो कबीर बीजक में है और न ही कबीर ग्रंथावली में।यही कबीर साहब के बहुचर्चित ग्रंथ माने जाते हैं।
ReplyDeleteकबीर सागर में दस मुकामी जो झूलना छंद दिया है।उसका वर्णन अर्थात वह लोक सदाशिव संहिता में वर्णित है।
और उसी लोक को वेद सार उपनिषद में दिया गया है।
परंतु यहां पूर्ण ब्रह्म श्री हरि अपनी शक्ति के साथ दिव्य सिंहासन पर बैठते हैं।
खुद कबीर साहब भी श्री राम की भक्ति करते थे।
प्रमाण
कबीर बीजक - राम गुण न्यारों - 3
तथा राम नाम जपो रे भाई, राम नाम अकथ कहानी,एवम् मेरो पीब ,मै राम की बहुरिया।
कबीर साहब की बानी में निर्गुण श्री राम का वर्णन है,इसे खुद रामपाल भी नहीं गलत बता सकते।
विस्तार से जानने हेतु मेरे ब्लॉग पर जाने सत्य ज्ञान
लिंक पर क्लिक करके पढ़ें सत्य रहस्य।
teachknowledge7.blogspot.com
Sahi Kaha Aapne Ye Bahdve Is Kabir Ko Bhagvaan Mante Hai Murkh Sale
Deleteकबीर साहेब की वाणी में तो ये भी लिखा है कि हम ही अलख अल्लह है कतुब गोष ओर पीर गरीबदास खलक धनी हमरा नाम कबीर कबीर साहेब जी ने स्व को परमात्मा भी कहा है सईद आपको ये वाणी नही दिखी होगी अहंकार का परदा हटा के ज्ञान समझो पहले साधना चैनल 8:30pm पर जरूर देखें 🙏
DeleteKabir Ji agar parmatma note to dharti pe janam na lete
DeleteRight
ReplyDeleteAllaha is Gid
ReplyDeleteपूर्ण ब्रह्म परमात्मा सतगुरु रामपाल जी महाराज हैं अल्लाह हू अकबर यही है और गॉड भी यही है
ReplyDeleteभडुआ है साला रामपाल
Deleteसंत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण गुरु है वो कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है।
Deleteअल्लाह हू अकबर कबीर परमात्मा है
ReplyDeleteअल्लाह कबीर है
ReplyDeleteSat saheb
ReplyDeleteBandi chhor satguru rampal g maharaj ki jai ho
ReplyDeleteBhut aachi post
ReplyDeleteReally, Kabir ji is supreme God.
ReplyDeleteReally surprising knowledge of spritual as Saint Rampal Ji Maharaj ji is giving Real Way of Worship according to All holy books
ReplyDeleteकबीर बंधे
Deleteकबीर बंधे से बंधा मिले छूटे कौन उपाय......!!
कर सेवा निरबंध की पल में लेत छुड़ाया।।
सर्व शक्तिमान निर्बंध कबीर साहेब जी है जो सतगुरु रूप में आकर सभी जीवों को काल के बंधन से छुड़ाने के लिए ज्ञान देते हैं।
अज्ञानी और झूठे लोग सीधी बात का भी गलत अर्थ निकालते हैं जिसका नुकसान भी केवल उन्हीं को होता है।
बोलो बंदी छोड़ सत गुरु रामपाल जी महराज की जय हो 🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteReal and complete god is only one who is Kabir ji
ReplyDeleteHe doesn't berth from mother.
कबीर साहेब ही सबसे बङे भगवान हैं और इनकी जानकारी संत रामपाल जी महाराज ने हमें सभी पवित्र धर्म ग्रंथों के आधार पर दी है अतः संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण गुरू हैं
ReplyDeleteगुरु गोविन्द दोनों खङे कांके लागूं पाय
बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो मिलाय 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
All Worlds Kabir Is God
ReplyDeletesat saheb 🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteKabir Sant Hai Sirf Bhagvaan Sirf Krishn Hai Or Yahi Satya Hai Samjhe
ReplyDeleteकबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं।
ReplyDeleteKabir is god
ReplyDeleteपूर्ण संत रामपाल जी महाराज ही है जिन्होंने सही से शास्त्रों के ज्ञान को बहुत ही सहज तरीके उजागर किया है और उसका सही फ़ायदा भगत समाज को मिल रहा है यह भी सत है
ReplyDeleteकबीर इज सुप्रीम डॉग ऑफ राम
ReplyDeleteKaveer is complete and final god
ReplyDeleteKabir Sahib is complete God.
ReplyDeletePurn Parmatma Kabir Sahib ji maharaj hai
ReplyDeleteKabir saheb the creator of all creation.
ReplyDeleteNice comment
DeleteSuptim god is kbir saheb ji
ReplyDeleteसत तो कडवा लगता है लेकिन भलाइ सत से ही होता है ज्ञानी हो तो हृदय लगाइ
मुरख हो तो समझ ना पाइ
Nhi samjhna he to nasamjho pde rho lakh choraasii me......
ReplyDeleteKabir is complete God 🙏
Nice post
ReplyDeleteपूर्ण परमात्मा कबीर साहब हैं इसका प्रमाण वेद गीता जी में सभी में मिलता है और सभी पुण्य आत्माओं ने इसकी गुड Rahasya की खोज की है
ReplyDeleteOnly Kabir Ji is suprem god and Sant Rampal Ji Maharaj ji is real sant only Sant Rampal Ji Maharaj ji is permatma kabir ji ky avtar hai🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteKabir is real, true and supreme God.
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ReplyDeleteकबीर सातद्वीप नौखण्ड में, गुरु से बड़ा न कोय ।
ReplyDeleteकरता करे ना कर सके , गुरु करे सो होय ।।
कबीर सदगुरू पूण॔ ब्रम्ह हैं, सदगुरू आप अलेख ।
सदगुरू रमता राम हैं , या में मीन ना मेख ।।
कबीर राम कृष्ण से कौन बड़ा, तिन्हूं भी गुरु किन्ह।
तीन लोक के वे धनी , गुरु आगे आधीन ।।
कबीर हरि सेवा युग चार है, गुरु सेवा पल एक।
तासु पटन्तर ना तुलै , संतन किया विवेक ।।
बंदी छोड़ सद्गुरु देव रामपाल जी महाराज जी के चरणों में कोटि कोटि दण्डवत प्रणाम ।
Sant Rampal ji Maharaj ki jay ho
ReplyDeleteKabeer is complete god no daut
जो कबीर को ईश्वर बता रहे हैं वह अखंड chutiya हैं 🤣
ReplyDeleteReally, Kabir ji is the supreme God.
ReplyDeleteSat Kabir shri ghisaram bandichod ghisaram
ReplyDeleteGhisa sant mahraj ka gyan aur Kabir sahab ka gyan ek hai
ReplyDeleteAllah
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