पूर्ण परमात्मा

।। पूर्ण परमात्मने नमः ।।

कबीर साहेब जी अपने परम शिष्य धर्मदास जी को कह रहे हैं कि ध्यान पूर्वक सुन वह पूर्ण ब्रह्म (परम अक्षर पुरुष) परमात्मा मैंने (कबीर साहेब ने) पाया उस परमात्मा (पूर्णब्रह्म) का सर्व ब्रह्मण्डों से पार स्थान है वहां पर वह आदि परमात्मा (सतपुरुष) रहता है। वही सर्व जीवों का दाता है: 
ताहि न यह जग जाने भाई। तीन देव में ध्यान लगाई।।
तीन देव की करहीं भक्ति। जिनकी कभी न होवे मुक्ति।।
तीन देव का अजब खयाला। देवी-देव प्रपंची काला।।
इनमें मत भटको अज्ञानी। काल झपट पकड़ेगा प्राणी।।
तीन देव पुरुष गम्य न पाई। जग के जीव सब फिरे भुलाई।।
जो कोई सतनाम गहे भाई। जा कहैं देख डरे जमराई।।
ऐसा सबसे कहीयो भाई। जग जीवों का भरम नशाई।।
कह कबीर हम सत कर भाखाहम हैं मूल शेष डारतना रू शाखा।।
साखी: रूप  देख  भरमो  नहींकहैं कबीर विचार। 
        अलख पुरुष हृदये लखेसोई उतरि है पार।।
उस परमात्मा  को कोई नहीं जानता तथा उसकी प्राप्ति की विधि भी किसी शास्त्र में वर्णित नहीं है। इसलिए सतनाम व सारनाम के स्मरण के बिना काल साधना(केवल ऊँ मन्त्रा जाप) करके काल का ही आहार बन जाते हैं। सच्चा साहेब(अविनाशी परमात्मा) भजो। उसकी साधना सतनाम व सारनाम से होती है। इसका ज्ञान न होने से ऋषि व संतजन लगन भी खूब लगाते हैं। हजारों वर्ष वेदों में वर्णित साधना भी करते हैं परंतु व्यर्थ रहती है। पूर्ण मुक्त नहीं हो पाते। 

धर्मदास जी को साहेब कबीर कह रहे हैं कि जो सज्जन व्यक्ति आत्म कल्याण चाहने वाले अपनी गलत साधना त्याग कर तत्वदृष्टा सन्त के पास नाम लेने आएंगे। उनको सतनाम व सारनाम मन्त्रा दिया जाता है। जिससे वे काल जाल से निकल कर सतलोक में चले जाएंगे। फिर जन्म-मरण रहित हो कर पूर्ण परमात्मा का आनन्द प्राप्त करेंगे। सही रास्ता (पूजा विधि) न मिलने के कारण नादान आत्मा पत्थर पूजने लग गईव्रततीर्थमन्दिरमस्जिद आदि में ईश्वर को तलाश रही हैं जो व्यर्थ है यह सब स्वार्थी अज्ञानियों व नकली गुरुओं द्वारा चलाई गई है। 

जो गुरु सतनाम व सारनाम नहीं देता वह सतपुरुष की प्राप्ति नही करा सकता और अपने शिष्यों का दुश्मन है। गलत साधना कर व करवा के स्वयं को भी तथा अनुयाईयों को भी नरक में ले जा रहा है। जो आप ही भूला है तथा नादान भोली-भाली आत्माओं को भी भुला रहा है।

वेदों व गीता जी में ऊँ नाम की महिमा बताई है कि यह भी मूल नाम नहीं है। सारनाम के बिना अधूरे नाम को अंश नाम कहा है जो पूर्ण मुक्ति का नहीं है। इसी के बारे में कहा है कि शाखा (ब्रह्मा-विष्णु-शिव व ब्रह्म-काल तथा माता की साधना को शाखा कहा है) व पत्रा (देवी-देवताओं की पूजा का ईशारा किया है) में जगत उलझा हुआ है। जो इनकी साधना करता है वह नरक में जाता है। फिर पूर्ण परमात्मा को मूल कहा है कि उस परमात्मा तथा उसकी उपासना को कोई नहीं जानता। अज्ञानता वश ब्रह्मा-विष्णु-शिव और श्री राम व श्री कृष्ण जी को ही अविनाशी परमात्मा मानते हैं।

‘‘जीव अभागे मूल नहीं जानेडार-शाखा को पुरुष बखाने‘‘

संसार के साधक वेद शास्त्रों को पढ़ते भी हैं परंतु समझ नहीं पाते। व्यर्थ में झगड़ा करते हैं। जबकि पवित्र वेद व गीता व पुराण भी यही कहते हैं कि अविनाशी परमात्मा कोई और ही है। प्रमाण के लिए गीता जी के श्लोक 15.16-15.17 में पूर्ण वर्णन किया गया है। जो इन तीन देवों (ब्रह्माविष्णुशिव) की भक्ति करते हैं उनकी मुक्ति कभी नहीं हो सकती। हे नादान प्राणियों! इनकी उपासना में मत भटको। पूर्ण परमात्मा की साधना करो। धर्मदास से साहेब कबीर कह रहे हैं कि यह सब जीवों को बताओउनका भ्रम मिटाओ तथा सतपुरुष की पूजा व महिमा का ज्ञान कराओ।

सतमार्ग दर्शन चैपाई:
जो जो वस्तू दृष्टि में आईसोई सबहि काल धर खाई।।
मूरति पूजैं मुक्त न होईनाहक जन्म अकारथ खोई।।

।। कबीर पंथी शब्दावली रमैनी ।। 21 ।। 
कबीर साहेब कह रहे हैं कि हे वेदों व शास्त्रों के ज्ञाता (पंडित) मुझे बताओ कि जब महाप्रलय परब्रह्म द्वारा की जाएगी उसमें सुक्ष्म-स्थूल आदि शरीर समाप्त हो जाएंगे तथा यह काल (विराट रूप) भी नहीं रहेगा। इसलिए आप पूर्ण परमात्मा का मार्ग प्राप्त करो। यह सही मार्ग सब भूल गए हैं जिसके कारण पूर्ण शांति नहीं। (इसी का प्रमाण गीता जी में है):
मैं तोहि पूंछो पडित ज्ञानी। पृथ्वी आकाश रहे नहिं पानी।।
सूक्ष्म स्थूल रहे नहिं कोई। बिराट सहित परले सब होई।।
तबहिं बिराट काहि अधारा। तब वेद जाप जर होवे छारा।।
होय अलोप जब रवि औ चन्दा। तब कापर रहे बाल मुकुन्दा।।
यह अचरज मोहिं निसि दिन भाई। दुरमत मेट मोहिं देहु बताई।।
समै- अमिट वस्तू सब मेटेजो मेटे सो प्रमान।
मिटतन कीन्ह सनेहराआपइ मिटे निदान।
पैंडा सब जग भूलियाकहँ लग कहौं समुझाय।
कहें कवीर अब क्या कीजे,जगते कहा बसाय।।

।। कबीर सागर के ज्ञान बोध से कबीर साहेब का शब्द ।।
ऐसा राम कबीर ने जाना। धर्मदास सुनियो दै काना।।
सुन्न के परे पुरुष को धामा। तहँ साहब है आदि अनामा।।
ताहि धाम सब जीवका दाता। मैं सबसों कहता निज बाता।।
रहत अगोचर (अव्यक्त)सब के पारा। आदि अनादि पुरुष है न्यारा।।
आदि ब्रह्म इक पुरुष अकेला। ताके संग नहीं कोई चेला।।
ताहि न जाने यह संसारा। बिना नाम है जमके चारा।।
नाम बिना यह जग अरुझाना। नाम गहे सौ संतसुजाना।।
सच्चा साहेब भजु रे भाई। यहि जगसे तुम कहो चिताई।।
धोखा में जिव जन्म गँवाई। झूठी लगन लगाये भाई।।
ऐसा जग से कहु समझाई। धर्मदास जिव बोधो जाई।।
सज्जन जिव आवै तुम पासा। जिन्हें देवैं सतलोकहि बासा।
भ्रम गये वे भव जलमाहीं। आदि नाम को जानत नाहीं।।
पीतर पाथर पूजन लागे। आदि नाम घट ही से त्यागे।।
तीरथ बर्त करे संसारे। नेम धर्म असनान सकारे।।
भेष बनाय विभूति रमाये। घर घर भिक्षा मांगन आये।।
जग जीवन को दीक्षा देही। सत्तनाम बिन पुरुषहि द्रोही।।
ज्ञान हीन जो गुरु कहावै। आपन भूला जगत भूलावै।।
ऐसा ज्ञान चलाया भाई। सत साहबकी सुध बिसराई।।
यह दुनियां दो रंगी भाई। जिव गह शरण असुर (काल) की जाई।।
तीरथ व्रत तप पुन्य कमाई। यह जम जाल तहाँ ठहराई।।
यहै जगत ऐसा अरुझाई। नाम बिना बूड़ी दुनियाई।।
जो कोई भक्त हमारा होई। जात वरण को त्यागै सोई।।
तीरथ व्रत सब देय बहाई। सतगुरु चरणसे ध्यान लगाई।।
मनहीं बांध स्थिर जो करही। सो हंसा भवसागर तरही।।
भक्त होय सतगुरुका पूरा। रहै पुरुष के नित्त हजूरा।।
यही जो रीति साधकी भाई। सार युक्ति मैं कहूँ गुहराई।।
सतनाम निज मूल है, यह कबीर समझाय।
दोई दीन खोजत फिरें, परम पुरुष नहिं पाय।।
गहै नाम सेवा करै, सतनाम गुण गावै।
सतगुरु पद विश्वास दृढ़, सहज परम पद पावै।।
ऐसे जग जिव ज्ञान चलाई। धर्मदास तोहि कथा सुनाई।।
यही जगत की उलटी रीती, नाम न जाने कालसों प्रीती।।
वेद रीति सुनयो धर्मदासा। मैं सब भाख कहों तुम पासा।।
वेद पुराण में नामहि भाषा। वेद लिखा जानो तुम साखा।।
चीन्हों है सो दूसर होई। भर्म विवाद करें सब कोई।।
मूल नाम न काहू पाये। साखा पत्रा गह जग लपटाये।।
डार शाख को जो हृदय धरहीं। निश्चय जाय नरकमें परहीं।।
भूले लोग कहे हम पावा। मूल वस्तू बिन जन्म गमावा।।
जीव अभागि मूल नहिं जाने। डार शाख को पुरुष बखाने।।
पढ़े पुराण और वेद बखाने। सतपुरुष जग भेद न जाने।।
वेद पढ़े और भेद न जाने। नाहक यह जग झगड़ा ठाने।।
वेद पुराण यह करे पुकारा। सबही से इक पुरुष नियारा।
तत्वदृष्टा को खोजो भाई, पूर्ण मोक्ष ताहि तैं पाई।

कविः नाम जो बेदन में गावा, कबीरन् कुरान कह समझावा।
वाही नाम है सबन का सारा, आदि नाम वाही कबीर हमारा।।

सामवेद उतार्चिक अध्याय 3 खण्ड न. 5 श्लोक न. 8
मनीषिभिः पवते पूव्र्यः कविर्नृभिर्यतः परि कोशां असिष्यदत्।
त्रितस्य नाम जनयन्मधु  क्षरन्निन्द्रस्य  वायुं  सख्याय  वर्धयन् ।।साम 3.5.8।।
सन्धिछेदः-मनीषिभिः पवते पूव्र्यः कविर् नृभिः यतः परि कोशान् असिष्यदत् त्रि तस्य नाम जनयन् मधु क्षरनः न इन्द्रस्य वायुम् सख्याय वर्धयन्। ।।साम 3.5.8।।
शब्दार्थ (पूव्र्यः) सनातन अर्थात् अविनाशी (कविर नृभिः) कबीर परमेश्वर मानव रूप धारण करके अर्थात् गुरु रूप में प्रकट होकर (मनीषिभिः) हृदय से चाहने वाले श्रद्धा से भक्ति करने वाले भक्तात्मा को (त्रि) तीन (नाम) मन्त्रा अर्थात् नाम उपदेश देकर (पवते) पवित्रा करके (जनयन्) जन्म व (क्षरनः) मृत्यु से (न) रहित करता है तथा (तस्य) उसके (वायुम्) प्राण अर्थात् जीवन-स्वांसों को जो संस्कारवश गिनती के डाले हुए होते हैं को (कोशान्) अपने भण्डार से (सख्याय) मित्राता के आधार से(परि) पूर्ण रूप से (वर्धयन्) बढ़ाता है। (यतः) जिस कारण से (इन्द्रस्य) परमेश्वर के (मधु) वास्तविक आनन्द को (असिष्यदत्) अपने आशीर्वाद प्रसाद से प्राप्त करवाता है। (साम 3.5.8)

भावार्थ:- इस मन्त्र में स्पष्ट किया है कि पूर्ण परमात्मा कविर अर्थात् कबीर मानव शरीर में गुरु रूप में प्रकट होकर प्रभु प्रेमीयों को तीन नाम का जाप देकर सत्य भक्ति कराता है तथा उस मित्र भक्त को पवित्र करके अपने आर्शिवाद से पूर्ण परमात्मा प्राप्ति करके पूर्ण सुख प्राप्त कराता है। साधक की आयु बढाता है। (साम 3.5.8)

विशेष:- उपरोक्त विवरण से स्पष्ट हुआ कि पवित्रा चारों वेद भी साक्षी हैं कि पूर्ण परमात्मा ही पूजा के योग्य है, उसका वास्तविक नाम कविर्देव(कबीर परमेश्वर) है तथा तीन मंत्र के नाम का जाप करने से ही पूर्ण मोक्ष होता है।

श्रीमद्भगवद्गीता  के श्लोक 15.16:
द्वौइमौंपुरुषौलोकेक्षरःच अक्षरःएव,
क्षरःसर्वाणिभूतानिकूटस्थःअक्षरःउच्यते ।।गीता15.16।।
अनुवाद: (लोके) इस संसारमें (द्वौ) दो प्रकारके (पुरुषौ) प्रभु हैं। (क्षरः) नाशवान् प्रभु अर्थात् ब्रह्म(च) और (अक्षरः) अविनाशी प्रभु अर्थात् परब्रह्म (एव) इसी प्रकार (इमौ) इन दोनों के लोक में (सर्वाणि) सम्पूर्ण (भूतानि) प्राणियोंके शरीर तो (क्षरः) नाशवान् (च) और (कूटस्थः) जीवात्मा (अक्षरः) अविनाशी (उच्यते) कहा जाता है। (15.16)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 15 के श्लोक 17:
उत्तमःपुरुषः तुअन्यःपरमात्माइतिउदाहृतः
यः लोकत्रायम्आविश्यबिभर्तिअव्ययःईश्वरः ।।गीता15.17।।
अनुवाद: (उत्तम) उत्तम (पुरुषः) प्रभु (तु) तो उपरोक्त क्षर पुरूष अर्थात् ब्रह्म तथा अक्षर पुरूष अर्थात् परब्रह्म से (अन्यः) अन्य ही है (परमात्मा) परमात्मा (इति) इस प्रकार (उदाहृतः) कहा गया है (यः) जो (लोकत्रायम्) तीनों लोकोंमें (आविश्य) प्रवेश करके (बिभर्ति) सबका धारण-पोषण करता है एवं (अव्ययः) अविनाशी (ईश्वरः) उपरोक्त प्रभुओं से श्रेष्ठ प्रभु अर्थात् परमेश्वर है। (15.17)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 15 के श्लोक 18:
यस्मात्क्षरम् अतीतःअहम्अक्षरात् अपि च उत्तम।
अतः अस्मि लोके वेदे च प्रथितः पुरुषोत्तमः ।।गीता15.18।।
अनुवाद: (यस्मात्) क्योंकि (अहम्) मैं काल - ब्रह्म(क्षरम्) नाशवान् स्थूल शरीर धारी प्राणियों से (अतीतः) श्रेष्ठ (च) और (अक्षरात्) अविनाशी जीवात्मासे (अपि) भी (उत्तमः) उत्तम हूँ (च) और (अतः) इसलिये (लोकेवेद) लोक वेद में अर्थात् कहे सुने ज्ञान के आधार से (पुरुषोत्तमः) श्रेष्ठ भगवान अर्थात् कुल मालिक नामसे (प्रथितः) प्रसिद्ध (अस्मि) हूँ। परन्तु वास्तव में कुल मालिक तो अन्य ही है। (15.18)


100 comments:

  1. सत साहेब राधा स्वामी जी ओम एक ओंकार वाहेगुरु सतनाम

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  2. Right
    Kabir is supreme god....💥💥

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  3. सभी धरमों के शास्त्रों से प्रमाणित होता है पूर्ण परमात्मा कविरदेव हैं

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  4. Kabir is God ......... Bhupendra ketley

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  5. कबीर ही पूर्ण परमात्मा चारों वेदों 18 पुराण बाइबल गुरु ग्रंथ साहिब कुरान शरीफ सभी में प्रमाण मिलता है और संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण ब्रह्म परमात्मा है इस धरती पर आए हुए हैं कृपया उनसे नाम दान लीजिए वही है जो कोरोना की बीमारी हो खत्म कर सकते हैं पूरे विश्व में कोई नहीं है लेखक......... भूपेंद्र केटले

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  6. Kabir is real god kabir is supreme god
    Saint rampalji real saint

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  7. सच्चा सतगुरु वो है जो हमारे सभी धर्मों के सदग्रन्थों से प्रमाणित ज्ञान व सतभक्ति देकर जन्म-मृत्यु से छुटकारा दिला दे।
    सद्ग्रन्थों पर आधारित भक्ति केवल संत रामपाल जी महाराज ही बताते हैं।

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  8. सच्चा सतगुरु वो है जो हमारे सभी धर्मों के सदग्रन्थों से प्रमाणित ज्ञान व सतभक्ति देकर जन्म-मृत्यु से छुटकारा दिला दे।
    सद्ग्रन्थों पर आधारित भक्ति केवल संत रामपाल जी महाराज ही बताते हैं।

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  9. Kabir is "complete God" in all respect.

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  10. यह सारा लेख पढ़ने से तो यही स्पष्ट है कि परमात्मा तो कबीर साहिब ही हैं

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  11. हमने तो गीता में और वेदों में जैसा इसमें लिखा है वैसे ही उसमें भी लिखा है इससे यही प्रमाणित होता है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही है

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  12. पूर्ण परमात्मा कबीर साहब जी है

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  13. पवित्र कुरान भी प्रमाणित करती है कि कबीर अल्लाह ही सबका मालिक है। क़ुरान में लिखा है कबीर अल्लाह ही पूजा के योग्य हैं।
    वह सर्व पापों को विनाश करने वाले हैं। उनकी पवित्र महिमा का गुणगान करो - सुरत-फुर्कानि 25:58

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    1. Kuran shreef arbi basha mey abtaran hui thi aur arbi me kabeer ka matlab bada hota hy kabeer allah yani sabse bada allah hi hy

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    2. All these are powerful souls...
      Suprime almighty authority is only one....
      The almighty is working secretly on our earth we don't imagine wt is real.. The almighty is giving gyan of themself...
      By this comment i want to share this unknown truth to u all..
      All of u can also known about it..
      I'M giving you the channel name here
      (Bapuji dashrathbhai patel).

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  14. पवित्र बाईबिल- Iyov 36:5 भी प्रमाणित करती है कि परमेश्वर कबीर साहेब ही सबके मालिक हैं, (सामर्थी) हैं और विवेकपूर्ण हैं।
    परमेश्वर कबीर (शक्तिशाली) है, किन्तु वह लोगों से घृणा नहीं करता।

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  15. नानक देव जी की पवित्र वाणी भी प्रमाणित करती है
    पूर्ण परमात्मा "सत कबीर" सर्व के मालिक हैं।
    हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।।
    ‘‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721
    नानक देव जी कहते हैं:-
    हे सर्व सृष्टि रचनहार, दयालु ‘‘सतकबीर‘‘ आप निर्विकार परमात्मा हैं।

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    1. कबीर अपने आपको भगवान बताता है जबकि सत्य ये है जो भगवान है उन्होंने कभी भी अपने आपको भगवान नही बताया उन्होंने साधारण मनुष्यो की भांति जीवन जीकर लोगों को सच्चा जीवन जीने का मार्ग प्रशश्त किया

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    2. भगवान व अवतार कभी झूठ नहीं बोलते। जितना
      उन्हें ज्ञान होता है लोक कल्याण के लिए सब बता देते हैं। श्री रामचन्द्र जी के बारे में पूरा विवरण बाल्मिकी और तुलसीदास जी की रामायण में है और बाल्मिकी जी ने भी उन्हें राजा राम संबोंधन किया है, तुलसीदास जी के वे आराध्य देव हैं। वेदों में परमेश्वर की महिमा बताई गई है उससे कबीर साहब की वाणी प्रमाणित होती हैं व
      अन्य संतों ने भी उनकी महिमा का गुणगान किया है।परमात्मा किसी एक की संपत्ति नहीं है भाई।
      जानकारी लेते जाओं और प्रत्यक्ष प्रमाण देखकर गुणगान करते जाओं।

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    3. भगवान व अवतार कभी झूठ नहीं बोलते। जितना
      उन्हें ज्ञान होता है लोक कल्याण के लिए सब बता देते हैं। श्री रामचन्द्र जी के बारे में पूरा विवरण बाल्मिकी और तुलसीदास जी की रामायण में है और बाल्मिकी जी ने भी उन्हें राजा राम संबोंधन किया है, तुलसीदास जी के वे आराध्य देव हैं। वेदों में परमेश्वर की महिमा बताई गई है उससे कबीर साहब की वाणी प्रमाणित होती हैं व
      अन्य संतों ने भी उनकी महिमा का गुणगान किया है।परमात्मा किसी एक की संपत्ति नहीं है भाई।
      जानकारी लेते जाओं और प्रत्यक्ष प्रमाण देखकर गुणगान करते जाओं।

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  16. Apab Destroyer Kabir Prabhu
    Kavirarngharisi = Kabir Parmeshwar (Angha) is the (peaceful) enemy (Asi) of sin, that is the destroyer Kabir. Kabir is God, except the enemy of bondage, ie prisoner.
    - Yajurveda Chapter 5 Mantra 32

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  17. Right kabir is complete God

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  18. Kabir Ji is supreme God worth worship as depicted in our four vedas kuran bible guru granth sahib ji

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  19. Tumhari maa Ka bhosda...! God is Shree Krishna ❤️🙏Read Madhbhagwat Geeta.
    Stupid Uneducated people.
    Jai Shree Krishna

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    1. सत्य कहा भाई ये रामपाल माह गधा है

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    2. ये कबीर कौन है BC... कवि को रामपाल कबीर कहता है, कबीर julaha था, जो किसी मुस्लिम दंपति की औलाद. किसी हिन्दू ने पाला... और इस गधे रामपाल उसे Bhagwan बना दिया

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    3. श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 15 के श्लोक 17:
      उत्तमः, पुरुषः तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः
      यः लोकत्रायम्, आविश्य, बिभर्ति, अव्ययः, ईश्वरः ।।गीता15.17।।
      अनुवाद: (उत्तम) उत्तम (पुरुषः) प्रभु (तु) तो उपरोक्त क्षर पुरूष अर्थात् ब्रह्म तथा अक्षर पुरूष अर्थात् परब्रह्म से (अन्यः) अन्य ही है (परमात्मा) परमात्मा (इति) इस प्रकार (उदाहृतः) कहा गया है (यः) जो (लोकत्रायम्) तीनों लोकोंमें (आविश्य) प्रवेश करके (बिभर्ति) सबका धारण-पोषण करता है एवं (अव्ययः) अविनाशी (ईश्वरः) उपरोक्त प्रभुओं से श्रेष्ठ प्रभु अर्थात् परमेश्वर है। (15.17)

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  20. कमाल की बात तो यह है कि परमात्मा क्या है यह बताने के लिए भी वेद और पुराणों का प्रयोग कर रहे हैं और उनको गलत भी बता रहे हैं कमाल है यार

    मैं बताऊं पूर्ण परमात्मा क्या है?
    पूर्ण परमात्मा आपके अंदर विद्यमान है कहीं बाहर उसको ढूंढने की जरूरत नहीं है यही लिखा है गीता में और यह भी लिखा है की आत्मा और परमात्मा एक ना दिखने वाली डोरी से बंधे हुए हैं। यह भी लिखा है वेदों पुराणों में अहम् ब्रह्मास्मि प्रत्येक जीव में ब्रह्म है वह पूर्ण परमात्मा स्वयं है बस आवश्यकता है तो खुद को ढूंढने की एक बार आप खुद को ढूंढ लीजिए परमात्मा को खोजने की आपकी साधना पूरी हो जाएगी मित्र।

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  21. पूर्ण परमेश्वर कबीर देव है वेदों में उनका नाम कविर देव, कुरान में अल्लाह कबीर, बाइबल में कविरिम, गुरु ग्रंथ साहिब में हक्का कबीर

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  22. सबसे बड़ा ठग फर्जी कबीर रामपाल इंजीनियर उर्फ अफण्डपाल है ?😂😂😂

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  23. Sant Rampal Ji Parmatma Kabir Saheb hai

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  24. kabir jitna gyani tha magar utna hi murkh bhi tha

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    1. कबीर परमात्मा कहते थे
      मूर्ख को समझाने से ज्ञान गाँठ का जाय कोयला न हो उजला चाहे शौ मन साबुन लगाय
      कबीर पूर्ण परमात्मा है सभी सदग्रंथो मे प्रमाण है व जिन संतों ने परमात्मा को देखा तथा प्राप्त किया उनहोंने बताया कि परमात्मा कबीर साहब है
      अधिक जानकारी के लिए साधना tvदेखें शाम 730से

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  25. agar kabir parmatma tha to iska praman nahi milta. yahi apna gungan karta hai. aur rampal maharaj to gadha hai

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    1. #kabir_is_god सदग्रंथो मे प्रमाण
      गुरूग्रंथ मे हक्का कबीर
      कुरानशरीफ मेअल्लाह कबीर
      वेदों मे कवीर्देव
      कबीर साहब कहते है
      हमही अलह अलेख है कुतुब गौस औ पीर गरीब दास खालिक धनी हमरा नाम कबीर
      वेद हमरा भेद है मैना मिलूं वेदन के माही
      जौन वेद से मै मिलूं ये वेद जानते नाहि
      साधनाtvदेखे7:30से

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    2. कबीर साहेब परमात्मा बिल्कुल सही है

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    3. प्रमाण अंधों को नहीं दिखते हैं कृपया अपनी आंखें खोलें और प्रमाण देखें पढ़ें समझें ,सद्गुरु बताते हैं कि हमें अंधे गधे रोकने के लिए आते हैं इस ज्ञान में उन्हें मालूम नहीं यह तूफान है ज्ञान का सर्व धर्म में प्रमाणित सद ग्रंथों से प्रमाणित

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    4. रामपाल माह गधा है

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  26. कबीर परमेश्वर हैं,ऐसा न तो कबीर बीजक में है और न ही कबीर ग्रंथावली में।यही कबीर साहब के बहुचर्चित ग्रंथ माने जाते हैं।
    कबीर सागर में दस मुकामी जो झूलना छंद दिया है।उसका वर्णन अर्थात वह लोक सदाशिव संहिता में वर्णित है।
    और उसी लोक को वेद सार उपनिषद में दिया गया है।
    परंतु यहां पूर्ण ब्रह्म श्री हरि अपनी शक्ति के साथ दिव्य सिंहासन पर बैठते हैं।
    खुद कबीर साहब भी श्री राम की भक्ति करते थे।
    प्रमाण
    कबीर बीजक - राम गुण न्यारों - 3
    तथा राम नाम जपो रे भाई, राम नाम अकथ कहानी,एवम् मेरो पीब ,मै राम की बहुरिया।

    कबीर साहब की बानी में निर्गुण श्री राम का वर्णन है,इसे खुद रामपाल भी नहीं गलत बता सकते।

    विस्तार से जानने हेतु मेरे ब्लॉग पर जाने सत्य ज्ञान
    लिंक पर क्लिक करके पढ़ें सत्य रहस्य।

    teachknowledge7.blogspot.com

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    1. Sahi Kaha Aapne Ye Bahdve Is Kabir Ko Bhagvaan Mante Hai Murkh Sale

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    2. कबीर साहेब की वाणी में तो ये भी लिखा है कि हम ही अलख अल्लह है कतुब गोष ओर पीर गरीबदास खलक धनी हमरा नाम कबीर कबीर साहेब जी ने स्व को परमात्मा भी कहा है सईद आपको ये वाणी नही दिखी होगी अहंकार का परदा हटा के ज्ञान समझो पहले साधना चैनल 8:30pm पर जरूर देखें 🙏

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    3. Kabir Ji agar parmatma note to dharti pe janam na lete

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  27. पूर्ण ब्रह्म परमात्मा सतगुरु रामपाल जी महाराज हैं अल्लाह हू अकबर यही है और गॉड भी यही है

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    1. भडुआ है साला रामपाल

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    2. संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण गुरु है वो कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है।

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  28. अल्लाह हू अकबर कबीर परमात्मा है

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  29. अल्लाह कबीर है

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  30. Bandi chhor satguru rampal g maharaj ki jai ho

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  31. Really, Kabir ji is supreme God.

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  32. Really surprising knowledge of spritual as Saint Rampal Ji Maharaj ji is giving Real Way of Worship according to All holy books

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    1. कबीर बंधे
      कबीर बंधे से बंधा मिले छूटे कौन उपाय......!!
      कर सेवा निरबंध की पल में लेत छुड़ाया।।
      सर्व शक्तिमान निर्बंध कबीर साहेब जी है जो सतगुरु रूप में आकर सभी जीवों को काल के बंधन से छुड़ाने के लिए ज्ञान देते हैं।
      अज्ञानी और झूठे लोग सीधी बात का भी गलत अर्थ निकालते हैं जिसका नुकसान भी केवल उन्हीं को होता है।

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  33. बोलो बंदी छोड़ सत गुरु रामपाल जी महराज की जय हो 🙏🙏🙏🙏

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  34. Real and complete god is only one who is Kabir ji
    He doesn't berth from mother.

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  35. कबीर साहेब ही सबसे बङे भगवान हैं और इनकी जानकारी संत रामपाल जी महाराज ने हमें सभी पवित्र धर्म ग्रंथों के आधार पर दी है अतः संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण गुरू हैं
    गुरु गोविन्द दोनों खङे कांके लागूं पाय
    बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो मिलाय 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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  36. Kabir Sant Hai Sirf Bhagvaan Sirf Krishn Hai Or Yahi Satya Hai Samjhe

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  37. कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं।

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  38. पूर्ण संत रामपाल जी महाराज ही है जिन्होंने सही से शास्त्रों के ज्ञान को बहुत ही सहज तरीके उजागर किया है और उसका सही फ़ायदा भगत समाज को मिल रहा है यह भी सत है

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  39. कबीर इज सुप्रीम डॉग ऑफ राम

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  40. Kaveer is complete and final god

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  41. Kabir Sahib is complete God.

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  42. Purn Parmatma Kabir Sahib ji maharaj hai

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  43. Kabir saheb the creator of all creation.

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  44. Suptim god is kbir saheb ji

    सत तो कडवा लगता है लेकिन भलाइ सत से ही होता है ज्ञानी हो तो हृदय लगाइ
    मुरख हो तो समझ ना पाइ

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  45. Nhi samjhna he to nasamjho pde rho lakh choraasii me......



    Kabir is complete God 🙏

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  46. पूर्ण परमात्मा कबीर साहब हैं इसका प्रमाण वेद गीता जी में सभी में मिलता है और सभी पुण्य आत्माओं ने इसकी गुड Rahasya की खोज की है

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  47. Only Kabir Ji is suprem god and Sant Rampal Ji Maharaj ji is real sant only Sant Rampal Ji Maharaj ji is permatma kabir ji ky avtar hai🙏🙏🙏🙏

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  48. Kabir is real, true and supreme God.

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  49. This comment has been removed by the author.

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  50. कबीर सातद्वीप नौखण्ड में, गुरु से बड़ा न कोय ।
    करता करे ना कर सके , गुरु करे सो होय ।।
    कबीर सदगुरू पूण॔ ब्रम्ह हैं, सदगुरू आप अलेख ।
    सदगुरू रमता राम हैं , या में मीन ना मेख ।।
    कबीर राम कृष्ण से कौन बड़ा, तिन्हूं भी गुरु किन्ह।
    तीन लोक के वे धनी , गुरु आगे आधीन ।।
    कबीर हरि सेवा युग चार है, गुरु सेवा पल एक।
    तासु पटन्तर ना तुलै , संतन किया विवेक ।।
    बंदी छोड़ सद्गुरु देव रामपाल जी महाराज जी के चरणों में कोटि कोटि दण्डवत प्रणाम ।

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  51. Sant Rampal ji Maharaj ki jay ho
    Kabeer is complete god no daut

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  52. जो कबीर को ईश्वर बता रहे हैं वह अखंड chutiya हैं 🤣

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  53. Really, Kabir ji is the supreme God.

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  54. Sat Kabir shri ghisaram bandichod ghisaram

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  55. Ghisa sant mahraj ka gyan aur Kabir sahab ka gyan ek hai

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